#सुख_का_सागर_सतलोक संत गरीब दास जी की वाणी में वर्णन है कि सतलोक में कितना सुख है मन तू चल रे सुख के सागर, जहाँ शब्द सिंधू रत्नागर।। जहां संखो लहर महर की उपजे, कहर नहीं जहाँ कोई। दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।