हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर कि कभी इन्हीं शायरी से तू मेरा दीवाना हुआ था न हँसना आज तू इन्हें पढ़ के मेरी जान क्योंकि कभी इन्होंने मेरा हाल -ए -दिल तुझे सुनाया था क्या कहूँ में अपनी इन शायरियों के लिए कि इन्होंने ही तो आज भी तुझे मुझसे जुड़ाया है कभी इन शायरियों ने तुझे प्यार जताया था और आज अपना दर्द सुनाया है मेरी शायरियों का तू यूँ हश्र न कर कि इन्होंने तो तेरे मेरे बीच का अटूट हिस्सा बनाया है।। #Shayari