बीता हुआ पल याद आता है अक़्सर राह ए जिंदगी में, कुछ वक्त गुजारता हूँ मैं मेरे कान्हा की बन्दगी में। कर्म से जुड़ा हुआ नसीब इंसान का जगत में, कुकर्म करके ताउम्र मरता रहता शर्मिंदगी में। #उमेश_लखपति'कृष्णा'