मेरी आंखों से तेरी आंखों तक जाने लगा है, इश्क़ जो खामोश था, अब कहने लगा है! जकड़ा हुआ था जो वक़्त से किसी पिंजरे में, बड़ी महोब्बत से अब उड़ने लगा है, रोके रखा था जिसे सब्र के बाँध ने, तोड़ कर उसे अब बहने लगा है! रोकूं इसे या खुद को भी बह जाने दूं, बस इसी एक सवाल में दिल उलझा हुआ है, जवाब ढूंढता हूं जब अपने ही अन्दर, तो लगता है तु दूर जाने लगा है, सोचता हूं भीग लूं इस बारिश में तेरे साथ, मगर सावन चला गया अब मौसम बदलने लगा है! कुछ ख्वाहिशें थी, सपने थे तेरे साथ रहने के, पूरे हों इससे पहले सूरज डूबने लगा है, कैसे कह दूं कि भूल जाऊंगा अपने इश्क़ को, अब तु मुझमें ही कहीं रहने लगा है! यूं तो परवाह नहीं मुझे इस ज़माने की, मगर तेरे डर से मुझे डर लगने लगा है, घिरा हुआ हूं मैं इन जज़्बातों में इस क़दर, मेरी ग़ज़ल तो छोड़ लफ्ज़ तक रोने लगा है..! #ghazal #poetry #ishq #masarrat #urdu #hindi #writershub