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कोई नही सुनेगा बेजान हो गए मंदिर और मज़ार । जंग खा

कोई नही सुनेगा बेजान हो गए मंदिर और मज़ार ।
जंग खा गयी है शायद इन शूरवीरों की तलवार ।
जात पात बस बच जाए अब करते है यही गुहार।
जाने किस बेड़ी में बंध के हुए कायर और लाचार।
जात पात और मज़हब ने बाँट दिया इंसान को।
राम रहीम बटे, बांटा अल्लाह और भगवान को।
मुद्दा गर राम मंदिर का है तो संसद तक जाएगा।
तीन तलाक पर हर कोई तलवार निकाल लाएगा।
बेटी बहन की आबरू अब बाज़ारों में बिकती है।
माँ के आंचल में हैवानो को हवस ही दिखती है।
कहते है....
आबरू का क्या है वो तो लुट ही जाती है।
जान का क्या है वो तो छूट ही जाती है।
झड़ी लग गयी दलीलों की नेता और वकीलों की।
सागर हुआ लहू सा लाल क्या बिसाद है झीलों की।
जिस धरा की माटी में कल तक पूजी जाती थी सीता।
जिस धरती की परिपाटी में कभी पढ़ी गयी थी गीता।
सोने की चिड़िया का जीवन तिल तिल करके रीता।
भारत माँ क्या  दुख बाकी है कोई जो तुम पर न बीता।
कोई नही सुनेगा बेजान हो गए मंदिर और मज़ार ।
जंग खा गयी है शायद इन शूरवीरों की तलवार ।
जात पात बस बच जाए अब करते है यही गुहार।
जाने किस बेड़ी में बंध के हुए कायर और लाचार।
जात पात और मज़हब ने बाँट दिया इंसान को।
राम रहीम बटे, बांटा अल्लाह और भगवान को।
मुद्दा गर राम मंदिर का है तो संसद तक जाएगा।
तीन तलाक पर हर कोई तलवार निकाल लाएगा।
बेटी बहन की आबरू अब बाज़ारों में बिकती है।
माँ के आंचल में हैवानो को हवस ही दिखती है।
कहते है....
आबरू का क्या है वो तो लुट ही जाती है।
जान का क्या है वो तो छूट ही जाती है।
झड़ी लग गयी दलीलों की नेता और वकीलों की।
सागर हुआ लहू सा लाल क्या बिसाद है झीलों की।
जिस धरा की माटी में कल तक पूजी जाती थी सीता।
जिस धरती की परिपाटी में कभी पढ़ी गयी थी गीता।
सोने की चिड़िया का जीवन तिल तिल करके रीता।
भारत माँ क्या  दुख बाकी है कोई जो तुम पर न बीता।