जिन्दगी का पिछा करते करते वो शायद थक गया है , कहता नहीं अलविदा, पर कहीं ठहर गया है कफस ए जिंदगी से आज़ाद तो हो जाता, पर कातिल उसका, कहीं खंजर छुपा गया है वो खजालत का दायरा बढ़ा तो लेता, सुना है कि कोई बेहया होने का कह कर गया है ©Mona Pareek #रस्ते