बातें अधूरी छूट जाती है में दिल बयाँ करने निकलता हूँ, वो सुनती तो है, मगर रूठ जाती है तू पूछता है लैला से क्यों अधूरि ये दास्तां-ए-महोब्बत वो इतमीनान से कहती है मजनू तब पहोचता है जब सांसे छूट जाती है, क्यों न मिलपाते दिल के दो टुकड़े, जिसका वजूद-ए-इश्क़ क़ायनात बया करती है वो कहते है महोब्बत बहोत है मगर पूरी हो जाये तो वो क़ायनात ही होती है जो रूठ जाती है। लैला-मजनू #ShiningInDark