तुम चलो कुछ दूर साथ मेरे इस पूरी दुनियाँ के सामने.... इक सच्ची दोस्त..हमसफर..प्रेमी..खास हमसाया बनकर पर चलने से पहले एक बार खुद से पूछ लेना ज़रूर.. क्या चल सकोगे..? तुम कुछ दूर मेरे कुछ नहीं बनकर.. क्योंकि आसाँ हैं इस भागती दुनियाँ में दोस्त,हमसफर,प्रेमी या खास हमसाया बन जाना.. पर बहुत मुश्किल हैं किसी के साथ चलना बिना उसका कुछ भी बने..!!!! बन सको तो मेरी रूह मेरे अल्फ़ाज़ बन जाना मेरी शायरी..मेरी ग़ज़ल में सिर्फ बस तुम ही तुम हमेशा नज़र आना.... ©शब्दवेडा किशोर #मेरा_जीवन_कोरा_काग़ज