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शबनमी उस मासुम सी निशा मे नन्हे सुनहरे सितारों का

शबनमी उस मासुम सी निशा मे नन्हे सुनहरे सितारों का काफिला था
हल्की मुस्कान लिए चाँदनी के साथ भीगकर खामोश चाँद खिला था

देख प्यार उन दोनो की चाँद की किरणे शरमाके फुलों मे सो गई
निगाहों मे पलकों तले रंगीन अफसाने  बुनकर उसी मे खो गई

उस आलम मे तन्हाई घुली हुई थी पर पूरवा उठ पड़ी ले अंगड़ाई
फुरसत के उस मौसम मे दिवानी सी मगरुर समा बजाने लगी शहनाई

दूर खड़ा पीपल पत्तों को समेट यूंही मुस्काया जब कलियाँ सो गई गुलशन में
पलकों के झरोंखों को खोल देखा उसने दूल्हन सी सजी सपने उस आंगन में

किस्मत से आई थी मिलन की बेला जिसमे प्रेयसी और प्रियतम का प्रेम संजोग था
पूर्णिमा के आँचल में दो विरहों को लगा इस अलबेले यौवन का मधुर प्रेमरोग था
 सुनीताशत्रुहनसिंह नेताम

©Sunitashatruhansingh Netam #शबनमी मासुम सी निशा विजय shayer rajnikantdixit Ruchi kishore Anshu writer  Sheetal Buriya
शबनमी उस मासुम सी निशा मे नन्हे सुनहरे सितारों का काफिला था
हल्की मुस्कान लिए चाँदनी के साथ भीगकर खामोश चाँद खिला था

देख प्यार उन दोनो की चाँद की किरणे शरमाके फुलों मे सो गई
निगाहों मे पलकों तले रंगीन अफसाने  बुनकर उसी मे खो गई

उस आलम मे तन्हाई घुली हुई थी पर पूरवा उठ पड़ी ले अंगड़ाई
फुरसत के उस मौसम मे दिवानी सी मगरुर समा बजाने लगी शहनाई

दूर खड़ा पीपल पत्तों को समेट यूंही मुस्काया जब कलियाँ सो गई गुलशन में
पलकों के झरोंखों को खोल देखा उसने दूल्हन सी सजी सपने उस आंगन में

किस्मत से आई थी मिलन की बेला जिसमे प्रेयसी और प्रियतम का प्रेम संजोग था
पूर्णिमा के आँचल में दो विरहों को लगा इस अलबेले यौवन का मधुर प्रेमरोग था
 सुनीताशत्रुहनसिंह नेताम

©Sunitashatruhansingh Netam #शबनमी मासुम सी निशा विजय shayer rajnikantdixit Ruchi kishore Anshu writer  Sheetal Buriya