रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं -डॉ.राहत इंदौरी #NojotoQuote #डॉ_राहत_इंदौरी