ना चाहते हुये भी हम दर्द दे जाते हैं अपनो की आह की वजह बन जाते हैं ये ज़िन्दगी भी मुझ पे अहसान कर रही है चुन चुन के मेरे झखमो का किसी और से हिसाब कर रही हैं। खता हुई हमसे सजा किसी और को मिल रही है बहुत जालिम है ये जिंदगी चुन चुन के मेरे घावों का किसी और से हिसाब कर रही है मेरे मुस्कुराने की सजा उसके आशुओँ से ले रही है बड़ी ज़ालिम है ये ज़िन्दगी बेइंतहा जुल्म कर रही है मेरे किया ख़ता की सजा मेरे अपनो को दे रही है खुशियो के बदले गमो का अंबार खड़ा कर रही हैं बड़ी ज़ालिम है ये जिंदगी मेरे कर्मो का हिसाब मेरे अपनो से ले रही है। ©praveen #ज़ालिम #झख़्म #ज़िन्दगी #अपने #हम #घाव #चाहत #हिसाब