बाबुल ना जाना मोहे शहर किसी भी शहरी बाबू के अंगना। ढूंढ़ो कोई घरजमाई मेरे लिए, उसी को बना लूंगी मैं सजना। भाए मुझे कुएं का ठंडा पानी, लुभाए खेतों की झूमती हरियाली। मैं भोली-भाली गांव की रहने वाली, मुझे ना चाहिए शहरी मवाली। रहूंगी जीवन भर संग बाबुल तुम्हारे, करूंगी तुम्हारी तन-मन से सेवा। घर जमाई को बना लेना अपना बेटा, बन के रहेंगे हम तुम्हारा गहना। एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें:- 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 12 🎀 शीर्षक- "बाबुल ना जाना शहरी बाबू के अंगना...!" 🎀 समय सीमा- आज शाम 6 बजे तक।