"ए दिल तू किसी के लिए इतना ज़रूरी भी नहीं, जितना कि तू सोच लेता है, कुदरत का रुख देखकर तो मौसम बदल जाते हैं, तो फिर इंसान क्या चीज है।।" "ए दिल तू किसी के लिए इतना ज़रूरी भी नहीं, जितना कि तू सोच लेता है, कुदरत का रुख देखकर तो मौसम बदल जाते हैं, तो फिर इंसान क्या चीज है। एक तू है जो कुछ भूलता ही नहीं है, उधर किसी को तेरी याद तक नहीं है, एक तू हर बात से दुनिया बना बैठा, उधर किसी को 'कोई बात' तक नहीं है। ए दिल तू किसी के लिए इतना नायाब भी नहीं जितना कि तू सोच लेता है, कुदरत का रुख देखकर तो मौसम बदल जाते हैं, तो फिर इंसान क्या चीज है।