कविता यों ही नहीं बन जाती, पहले बीज बोया जाता है, कोंपलें निकलती है, फिर पौधा बनता है, पेड़ तो उसे बनना ही है, मग़र पौधे पर भी फल आते है, फल से फिर बीज आते हैं, इन बीजों से न जाने फिर से कितनी ही कवितायें बनती हैं। बस उम्मीद यही रहती है, कि बीज अच्छे हाथों से लगाया जाये और उसे पालने वाला उसके फल का गलत इस्तेमाल न करे, ये भी तो मायने रखता है कि उस पेड़ की छाया कितने लोगों के धूप से बचने का कारण बनती है। #कविता #बीज #कोंपलें #पौधा #उम्मीद #yqdidi #yqhindi #bestyqhindiquotes