पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा होते ही मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों की ओर से जिस तरह के लोकलुभावन वादे किए जाने लगे हैं उन पर निर्वाचन आयोग की संज्ञा लेनी चाहिए राजनीतिक दलों को इसकी अनुमति नहीं देनी चाहिए कि वह आर्थिक नियमों की अनदेखी कर मन चाहे घोषणा करें एक समय था जब लोकलुभावन घोषणाओं के तहत मुक्त चीजें देने की बारी तमिलनाडु तक सीमित थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ही यही देश भर में होने लगे एकदम एकदम मस्त चीज है देने की घोषणा करता है तो दूसरे दिन भी एक ऐसा ही करने की विवश होते हैं इसके बाद उनके एक साथ से आगे निकलने की होड़ लग जाती है इन दिन ऐसा हो रहा है कि गोवा पंजाब मणिपुर से लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कई दल मुफ्त बिजली देने के वादे कर रहे हैं तो कोई मोबाइल लैपटॉप बांटने की बातें कर रहा है जो कि इन दिनों किसानों के मसल चार्ज पर हम उनके कर्ज माफ करने के लिए घोषणा भी की जा रही है लोकलुभावन वादे करने की राजनीति किस तरह बेलगाम होती जा रही है इस पर समझाया जा सकता है कि नकद राशि देने की वादे किए जा रहे हैं इस तरह एक से एक मतदाता के वोट खरीदने की कोशिश है यह भी अनदेखी नहीं की जा सकती चुनाव के दौरान गुपचुप रूप से पैसे और शराब बांटने का सिलसिला पहले से ही कायम है एक चीते हैं कि चुनाव के दौरान उसे पैसे की बड़े पैमाने पर वर्मा आदमी होने लगी जो मतदाताओं के बीच चोरी-छिपे बांटने के एकत्रित किया ©Ek villain # मुफ्त खोरी की राजनीति #humantouch