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जो मेरे साथ रह-गुजर के मेरे काम नही आया ये कैसा म

जो मेरे साथ रह-गुजर के मेरे काम नही आया 
ये कैसा मेहबूब है खुदा -जो आज भी मिलने नही आया

यूं ही नहीं फ़कत की मैं ही उसके इंतजार में हूँ 
वो शख्स तो किसी की मौत पर भी किसी से मिलने नही आया

इस जेल में तो पराये भी मिलने आ जाते हैं 
एक तु है कि दफ्तर में भी टिफिन देने नही आया 

मैं कहता भी था लोगो से वो मेरे मर्ज की दवा है
मेरा नाम बदल देना गर वो शख्स मुझसे मिलने नही आया
                           

      -DARSHAN #Shayar #shayri #urdu #poem #Poetry #Love #BreakUp #darshan
जो मेरे साथ रह-गुजर के मेरे काम नही आया 
ये कैसा मेहबूब है खुदा -जो आज भी मिलने नही आया

यूं ही नहीं फ़कत की मैं ही उसके इंतजार में हूँ 
वो शख्स तो किसी की मौत पर भी किसी से मिलने नही आया

इस जेल में तो पराये भी मिलने आ जाते हैं 
एक तु है कि दफ्तर में भी टिफिन देने नही आया 

मैं कहता भी था लोगो से वो मेरे मर्ज की दवा है
मेरा नाम बदल देना गर वो शख्स मुझसे मिलने नही आया
                           

      -DARSHAN #Shayar #shayri #urdu #poem #Poetry #Love #BreakUp #darshan
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