समय आ ही चुका अब बहुत हुआ 'उसे' दिल में बसाना जिसने बंजर किया 'दिल' मेरा तोड़ फेंकी 'कोंपले' मेरे प्रेम-पुष्प की खो दी जिसके लिए दिन-रात की शांति दे दिया जिसके लिए आँखों को असीमित 'पानी' जो भीगा भी नहीं उसमें और मैं ऐसी डूबी की डूबती चली गयी संभल न सकी 'मैं' खो गयी उसमें,जो था ही नहीं 'आसपास' जो शायद था ही नहीं कहीं मेरे 'ख़्यालात' के सिवा...! Muनेश..Meरी✍️🌹 #bestyqhindiquotes #yqdidi #yqhindi #yqwriters #yqpoetry #yqinterviews #yqlove