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चिराग ए दिल को अपने जलाये रखा हमने रात भर ये सोचकर

चिराग ए दिल को अपने जलाये रखा हमने रात भर ये सोचकर ,
ए बेख़बर!
इश्क़ की गालियों में कहीं फ़िर से कोई मुसाफ़िर अपना रास्ता ना भूल जाये।। #66
चिराग ए दिल को अपने जलाये रखा हमने रात भर ये सोचकर ,
ए बेख़बर!
इश्क़ की गालियों में कहीं फ़िर से कोई मुसाफ़िर अपना रास्ता ना भूल जाये।। #66