`धनआनँद `प्यारे सुजान सुनौ यहँ एक तैं दूसरौ आँक नहीं। तुम कौन धौं पाटी हौ मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं।। अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।