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ज़िन्दगी का हाल अब exam का syllabus बन चुका है, खु

ज़िन्दगी का हाल अब exam का syllabus बन चुका है,
खुशियां अब इतिहास की किताब बन चुकी है,
जो आ जाती है खुशियां कभी रास्ता भटक,
सारा भूगोल हिल जाता है,
आंखो से बहती नदियां बाढ़ ला देती है,
और दिल की ज़मीन में फिर भी सूखा पड़ जाता है,
फिर राजनीति अपना खेल शुरू कर देती है,
लफ्ज़ अपनी ही सरकार के आंसुओ पे पर्दा डालने की कोशिश करते है,
और आंखे विपक्ष बन खामोशी पे सवाल खड़ा कर देती है,
ज़िन्दगी की पहेलियां गणित के उन प्रमेयो के भांति लगती है,
जहां पता है कि जवाब है क्या,
पर जवाब तक के सफर को मानसिक योग्यता पार ही नहीं करने देती,
इन सब को सुलझाने में पूरा अर्थशास्त्र हिल जाता है,
और फिर बजट पत्र और बचत पत्र निकाले जाते है,
जैसे तैसे कर समसामयिकी मुद्दे संभाले जाते है,
और फिर समय अपनी कलाओं से अपनी संस्कृति निभाने का,
Officer बनने का ख्वाब अच्छा है,
पहले जरा अपने हाथों में मेहंदी सजाओ
हाथों को पीला करवाओ,
Officer बन ही जायेगे एक दिन,
पहले किसी के घर के home minister तो बन जाओ।

©Jagdish Solanki
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