हमें इश्क़ हुआ तुमसे बेपनहां बेशुमार! चाहतों की गलियों में दुश्मन मिले हज़ार! है साथ तुम्हारा अब डर नहीं ज़माने का, मेरे रूह में बसे हो तुम बनकर मेरी जान! रुत जो आई है हमारे मिलन की देखो साजन। जगमगा उठी ज़िंदगी, हरपल हुए है गुलजार। है भिगा भिगा सा मन मेरा तर-बतर है एहसास। मैं जीत गई मोहब्बत तुम्हारी धरे रह गए सारे वार। अब ना जुदाई आयेगी, होगी बस सावन की बरसात। हर ऋतु सुनहरी होगी, हर रोज़ मनेगा आँगन में त्यौहार। समाँ इश्क़-इश्क़ हो जाएगा, जुड़ जाएंगे फ़िर दिल के तार। मेरे दिल की तुम सुनना पढ़ लूँगी मैं तुम्हारें अनकहे अल्फाज़! ♥️ Challenge-953 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।