#5LinePoetry न जाने वो लहंगा कहां बांधते हैं.... सुना है सनम की कमर ही नहीं है न जाने वो लहंगा कहां बांधते हैं ग़ज़ल कहने वाले हैं लब सिल के बैठे जो आये थे सुनने; समां बांधते हैं चलो उन मुसाफ़िरों को साथ ले लो जो गठरी में आह-ओ-फ़ुगां बांधते हैं तुम नाहक मेरे स्वप्न रोके खड़े हो कहीं रस्सियों से धुआं बांधते हैं ? मेरी शायरी इक इबादत है उनकी जो पलकों से आब-ए-रवां बांधते हैं.... सुना है सनम की कमर ही नहीं है न जाने वो लहंगा कहां बांधते हैं. ©Diaryreena #lahnga #nojohindi prashu pandey