सबसे ज्यादा प्यार खुद से करें क्यूंकि जो खुद को न समझ सकता ओ दूसरें को कभीप्यार कर ही नहीं सकता जो खुद को कभी न चाहा हो ओ किसी आवर से पा नहीं सकता जो खुद को मेहसूस न किया हो ओ किसीकी दर्द को भी मह्सूस नहीं कर सकता जो खुद का सम्मान न करें ओ दूसरें को इज्ज़त कर ही नहीं सकता जो खुद को पहचान सकें तो खुद को पहचान भी दिला न सकें जो खुद को अक्सर अकेला कहता है कभी अकेलेपन का दर्द बांट नहीं सकता जो मेहसूस हुई खुद की खुशियाँ तो दूसरें के दर्द को भूल गया क्युकि जो खुद को समझ नहीं सकता ओ दूसरें को कभीप्यार कर ही नहीं सकता