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*चाँद भी क्या खूब है,* *न सर पर घूंघट है,* *न चेहर

*चाँद भी क्या खूब है,*
*न सर पर घूंघट है,*
*न चेहरे पे बुरका,*

*कभी करवाचौथ का हो गया,*
*तो कभी ईद का,*
*तो कभी ग्रहण का*

*अगर*

*ज़मीन पर होता तो*
*टूटकर विवादों मे होता,*
*अदालत की सुनवाइयों में होता,*
*अखबार की सुर्ख़ियों में होता,*

*लेकिन*

*शुक्र है आसमान में बादलों की गोद में है,*
*इसीलिए उसे* 
*हर एक  अपनी श्रद्धा से पूजता है!*
*और कविताओं* 
*ग़ज़लों में महफूज़ है*.....! !

©KRISHNA #chai
*चाँद भी क्या खूब है,*
*न सर पर घूंघट है,*
*न चेहरे पे बुरका,*

*कभी करवाचौथ का हो गया,*
*तो कभी ईद का,*
*तो कभी ग्रहण का*

*अगर*

*ज़मीन पर होता तो*
*टूटकर विवादों मे होता,*
*अदालत की सुनवाइयों में होता,*
*अखबार की सुर्ख़ियों में होता,*

*लेकिन*

*शुक्र है आसमान में बादलों की गोद में है,*
*इसीलिए उसे* 
*हर एक  अपनी श्रद्धा से पूजता है!*
*और कविताओं* 
*ग़ज़लों में महफूज़ है*.....! !

©KRISHNA #chai
shankarlal2621

KRISHNA

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