*चाँद भी क्या खूब है,* *न सर पर घूंघट है,* *न चेहरे पे बुरका,* *कभी करवाचौथ का हो गया,* *तो कभी ईद का,* *तो कभी ग्रहण का* *अगर* *ज़मीन पर होता तो* *टूटकर विवादों मे होता,* *अदालत की सुनवाइयों में होता,* *अखबार की सुर्ख़ियों में होता,* *लेकिन* *शुक्र है आसमान में बादलों की गोद में है,* *इसीलिए उसे* *हर एक अपनी श्रद्धा से पूजता है!* *और कविताओं* *ग़ज़लों में महफूज़ है*.....! ! ©KRISHNA #chai