शब्दसीढ़ी प्रदत्तशब्द - खामोशियों, फ़साना, शातिर ,दुनियाँ ,बहाना कभी-कभी हम भी #खामोशियों में खुद से बात किया करते हैं पता है हमें जमाने का #फ़साना जो कभी नहीं किसी को अपनाता यूं तो वक्त हर पल शतरंज की चाल चलता है हम भी तो #शातिर हैं हमसे कहा कोई बच कर निकलता है बस खुद की सच्चाई से हमारा नाता है क्योंकि #दुनियाँ अपना फायदा देख कर ही हमें अपनाती है ना करनी है किसी से शिकवा ना करना है किसी से #बहाना अपने गम को खुद ही है भुलाना और हर पल है मुस्कुराना ©Pinky Mishra #Drown