भूली बिसरी गलियाँ उदासी,दुखो की नदियाँ जो बरसों से थी भरी भरी आज है सुनसान पड़ी एक समय पर शहनाई की धुन फैली थी बेटी की आचनक मौत गली मे सन्नटा फैल गया हसता गाता गली भूली बिसरी मे बदल गया आज भी गली मे बहुत लोग है मगर वो अपनापन नहीं इसलिए जानी मानी गली भी भूली बिसरी है खड़ी। वो बचपन,वो यादों की वापसी हो जाए तो शायद भूली बिसरी फिर से यादों का पिटारा बन जाए। #गलियाँ#napowrimo#yqdidi 4/30