घूंघट में चाँद चाँद घूंघट में छिपा था ।, लाज का पहरा लगा था। चाँदनी फिर भी बिखेरे,मन को कुछ आवाज देता। फिर गगन चढ ते चलेगें ,पंखों में परवाज देता। #घुंघट में#,चाँद