उलझन बड़ी नासमझ है उलझनें इस दिल की बेहोशी के आलम मे, ये होश लिखती है कभी, दुआ के सफर पे ,बन जाती है मुसाफिर कभी बद्दुआ की, मंज़िलें खोजती है #पारस #सफर #दुआ #उलझनें