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जड़ से मजबूत था खौफ न किसी का था लगा था वो.. तब म

जड़ से मजबूत था
खौफ न किसी का था

लगा था वो..
तब मैं बहुत छोटा-सा था

हरी पत्तियां,लंबी टहनियां..
कई पक्षियों का उस पर घोंसला भी था

छीन लो किसी का बसेरा
तो कहां से आएगा नया सवेरा??

विकास के खातिर
लोगों का मन स्वार्थी भी था

काट दिया उसे
जो लगा कई वर्षों से था

कहां गया वह ज्ञान??
जो पढ़ा कई सालों से था

पेड़ लगाओ प्रदूषण भगाओ
यह नारा अक्सर कहा भी था

फिर क्यों काट दिया उसे??
जो प्रतीक ईश्वर का था।।

©Akanksha Nandan
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