Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat आज किताबों में डेयरी मिली वहीं पुरानी यादों की भरी नज़र मिली मेरी नज्मों में उलझी कहानी मेरी पड़ी तो फिर रों पड़ी जवानी मेरी कुछ नज़्में ग़ज़ले कुछ शायरी मेरी कुछ बेजोड़ नमूना पेश करती रवानी मेरी खराश थी गाले में नज़्म कुछ खफा सी मेरी कुछ साएं खड़े हुए डायरी से निकाल कर मेरी मेरी नज्मों ग़ज़लों के किरदार थे सभी वो साथ मेरी दोष देती नज़्में लिखने वालों को दोस्ती कर दबा मुंह फेरते नज़्में मेरी सवाल कर रही थी मैं उनसे थी, या वो मुझमें थी कहीं मेरी परछाई मेरी बनती बिगड़ती तखलीखं भी मैं करती स्माईन के हवाले मेरी सुकून सी आवाज़ थी मेरी तलकिनं थी नज़्में ग़ज़ले खफा होती भी तो सहलाती कलम मेरी तलाश रही थी कहीं मेरी किताबों में दब गई थी मेरी एक और हसीना थी नज़्म में ज़ुल्फो में छिल गई थी मेरी कसमकश में थी एक नज़्म मेरी ज़िन्दगी लिख कर चुप थी मेरी नज्मों को नाकाम नहीं नमक डालकर ज़िंदा किया अपनी पहचान में उनको भी शामिल किया आवाज़ मेरी आवाज़ मेरी सिक्कों सी खनकती सुकून थी नज़्म मेरी तखलीखं- creation ,स्माईन-audience, तलकिनं -recitation, कश्मकश- dilmema #lifequotes #respect #selfmotivation #yqbaba #yqdidi #yqquotes Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat आज किताबों में डेयरी मिली वहीं पुरानी यादों की भरी नज़र मिली मेरी नज्मों में उलझी कहानी मेरी पड़ी तो फिर रों पड़ी जवानी मेरी कुछ नज़्में ग़ज़ले कुछ शायरी मेरी