मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार काल की तरह मुँह खोलें हैं ना जाने कौन बच्चा कब काल के मुँह समाए ये तो भोले है। अस्पताल में बच्चे का जान जाते देख माँए खून के आंसू रोए हैं ना जाने इसका समाधान कब होगा सरकार तो सोए हैं । हर दिन माँये का आँचल खाली होते देख नींद नही आया है रोते बिलखते बच्चों की आवाज सुन मुझे रोना आया है । काश मैं इन बच्चों के लिए कुछ कर पाती चिन्ता सताया है हे प्रभु करो चमत्कार बच्चों को लेकर माँए सपना संजोया हैं। मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ।