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मेरी हर बात का मतलब नहीं निकाला जाये तहकीकात हो,

मेरी हर बात का मतलब नहीं निकाला जाये
 तहकीकात हो, फिर जुलूस निकाला जाये

किसी गरीब को मिलती है रोटी, तो मंजूर है
 मेरा हक़ छीन कर, किसी के मुँह निवाला जाये

बेटियां गुरुर होती हैं, हर माँ बाप का लोगों
 अब विदाई में लड़कों को घर से निकाला जाये

अमीरों को गरीबों से आखिर तकलीफ क्या है 
क्यों झुग्गियों को इस तस्वीर से निकाला जाये

हाँ मैं मानता हूँ कि वह फरिश्ता है हकीकत में 
क्यों किसी की अच्छाईओं पर पर्दा डाला जाये |

©akshat tripathi #mypoetry #zindgiii #kavitachallenge #poetrylovers #sachai #love #chehra 

#MothersDay2021
मेरी हर बात का मतलब नहीं निकाला जाये
 तहकीकात हो, फिर जुलूस निकाला जाये

किसी गरीब को मिलती है रोटी, तो मंजूर है
 मेरा हक़ छीन कर, किसी के मुँह निवाला जाये

बेटियां गुरुर होती हैं, हर माँ बाप का लोगों
 अब विदाई में लड़कों को घर से निकाला जाये

अमीरों को गरीबों से आखिर तकलीफ क्या है 
क्यों झुग्गियों को इस तस्वीर से निकाला जाये

हाँ मैं मानता हूँ कि वह फरिश्ता है हकीकत में 
क्यों किसी की अच्छाईओं पर पर्दा डाला जाये |

©akshat tripathi #mypoetry #zindgiii #kavitachallenge #poetrylovers #sachai #love #chehra 

#MothersDay2021