#citylight {Bolo Ji Radhey Radhey}
पाण्डव अपनी मां कुंती के साथ इधर से उधर भ्रमण कर रहे थे, वे ब्राह्मणों का वेश धारण किए हुए थे, भिक्षा मांगकर खाते थे और रात में वृक्ष के नीचे सो जाया करते थे, भाग्य और समय की यह कैसी अद्भुत लीला है। जो पांडव हस्तिनापुर राज्य के भागीदार हैं, और जो सारे जगत को अपनी मुट्ठी में करने में समर्थ हैं, उन्हीं को आज भिक्षा पर जीवन-यापन करना पड़ रहा है|
दोपहर के बाद का समय था| पांडव अपनी मां कुंती के साथ वन के मार्ग से आगे बढ़ते जा रहे थे| सहसा उन्हें वेदव्यास जी दिखाई प #पौराणिककथा