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सुनो प्रिए ! एक खत तुम्हारे लिए ..................

सुनो प्रिए ! एक खत तुम्हारे लिए ............................ सुनो ना ,

मुझे पता है तू अपनी आदतों से कितनी परेशान रहती है ,
जो लोग तुझे दर्द देते है तू भी उन्हीं को अपना समझ बैठती है ..

तू क्यूँ घबराती है , के तेरे हाथ से सब फिसल जाएगा ,
मुझे पता है जो तेरे दिल में है तू कभी किसी से बोलेगी नहीं , 
तुझे डर लगता है के कही तेरी बात
सुनो प्रिए ! एक खत तुम्हारे लिए ............................ सुनो ना ,

मुझे पता है तू अपनी आदतों से कितनी परेशान रहती है ,
जो लोग तुझे दर्द देते है तू भी उन्हीं को अपना समझ बैठती है ..

तू क्यूँ घबराती है , के तेरे हाथ से सब फिसल जाएगा ,
मुझे पता है जो तेरे दिल में है तू कभी किसी से बोलेगी नहीं , 
तुझे डर लगता है के कही तेरी बात
thvachl2514

thvachl ;

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