सुनो प्रिए ! एक खत तुम्हारे लिए ............................ सुनो ना , मुझे पता है तू अपनी आदतों से कितनी परेशान रहती है , जो लोग तुझे दर्द देते है तू भी उन्हीं को अपना समझ बैठती है .. तू क्यूँ घबराती है , के तेरे हाथ से सब फिसल जाएगा , मुझे पता है जो तेरे दिल में है तू कभी किसी से बोलेगी नहीं , तुझे डर लगता है के कही तेरी बात