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कहीं धूप कहीं छाया कोई नहीं समझ पाया है इसकी माया।

कहीं धूप कहीं छाया कोई नहीं समझ पाया है इसकी माया।
कभी खुशियों का अम्बर है यहां तो कभी है ग़मों का साया।

जिंदगी के फसाने कभी नए लगते हैं तो कभी लगते पुराने।
अपनी हस्ती को ढूंढने में बिता देते हैं जाने कितने जमाने।

कभी जिंदगी में दूसरों की खुशियों में खुश हो कर तो देखो। 
जिंदगी गाने लगेगी नए तराने और बन जाएंगे नए फसाने।

 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-44 में स्वागत करता है..🙏🙏
*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

💫 प्रतियोगिता ¥44:- जिंदगी के फसाने
कहीं धूप कहीं छाया कोई नहीं समझ पाया है इसकी माया।
कभी खुशियों का अम्बर है यहां तो कभी है ग़मों का साया।

जिंदगी के फसाने कभी नए लगते हैं तो कभी लगते पुराने।
अपनी हस्ती को ढूंढने में बिता देते हैं जाने कितने जमाने।

कभी जिंदगी में दूसरों की खुशियों में खुश हो कर तो देखो। 
जिंदगी गाने लगेगी नए तराने और बन जाएंगे नए फसाने।

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