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शीर्षक - क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें ----

शीर्षक - क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें
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क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें।
क्यों साथ तुमने मेरा, ऐसे छोड़ दिया।।
क्यों नहीं बनाया तुमने, मुझको अपना साथी।
क्यों हाथ तुमने मेरा, ऐसे छोड़ दिया।।
क्यों नहीं निभाई तुमने------------------------।।

खाई थी तुमने तो, कसमें बहुत कल।
नहीं तुम रहोगी, मेरे बिन एक पल।।
क्यों नहीं किया तुमने, वादा अपना पूरा।
क्यों दिल तुमने मेरा, ऐसे तोड़ दिया।।
क्यों नहीं निभाई तुमने------------------------।।

क्या तुमको याद नहीं, कल की मुलाक़ातें।
बिताई थी हमने साथ, कल जो हसीन रातें।।
बुझा क्यों दिया तुमने, जलता हुआ चिराग।
क्यों मुँह तुमने मुझसे, ऐसे मोड़ लिया।।
क्यों नहीं निभाई तुमने------------------------।।

अच्छा नहीं है ऐसे, किसी दिल से खेलना।
महलों के सुख के लिए, प्यार अपना बेचना।।
क्यों बेच दिया तुमने, अपना यह दिल ऐसे।
क्यों घर तुमने मेरा, ऐसे छोड़ दिया।।
क्यों नहीं निभाई तुमने------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतगाताहैदिल
शीर्षक - क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें
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क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें।
क्यों साथ तुमने मेरा, ऐसे छोड़ दिया।।
क्यों नहीं बनाया तुमने, मुझको अपना साथी।
क्यों हाथ तुमने मेरा, ऐसे छोड़ दिया।।
क्यों नहीं निभाई तुमने------------------------।।

खाई थी तुमने तो, कसमें बहुत कल।
नहीं तुम रहोगी, मेरे बिन एक पल।।
क्यों नहीं किया तुमने, वादा अपना पूरा।
क्यों दिल तुमने मेरा, ऐसे तोड़ दिया।।
क्यों नहीं निभाई तुमने------------------------।।

क्या तुमको याद नहीं, कल की मुलाक़ातें।
बिताई थी हमने साथ, कल जो हसीन रातें।।
बुझा क्यों दिया तुमने, जलता हुआ चिराग।
क्यों मुँह तुमने मुझसे, ऐसे मोड़ लिया।।
क्यों नहीं निभाई तुमने------------------------।।

अच्छा नहीं है ऐसे, किसी दिल से खेलना।
महलों के सुख के लिए, प्यार अपना बेचना।।
क्यों बेच दिया तुमने, अपना यह दिल ऐसे।
क्यों घर तुमने मेरा, ऐसे छोड़ दिया।।
क्यों नहीं निभाई तुमने------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतगाताहैदिल
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Gurudeen Verma

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