हर वो गम,जो मेरी आँखों से बूंद बन कर निकला तो बूंद का सफर मेरी आँखों में से चहरे से फिसलती हुई,इस पते पर आ सिमटी.... मुझे अच्छा लगा कोई तो है,जिसे मेरे आसूं की एक बूंद की कीमत तो पता लगीं... हर वो गम पतों पर आ गया ,पर अफ़सोस जिसे महसूस करना चाहिए था वो नाकाम निकली... पते को पता गम का मतलब पर वो उस गम को भी न समझी.... हर वो गम, जो मेरी........... । SAVE THE 🌳 TREE.... usha.....✍ # save the tree