कहीं कहीं से हर बात तुम जैसी लगती है ये ढलती हुई शाम और चढ़ती हुई रात कुछ खाली खाली सी लगती है बिन फूल की सुगंध कैसी बिन हवाओं के समां कैसा बिन बादलो के बारिश कैसी बिन सांसों के प्राण कहां #जिवंत #जिवन_एक_अनौठो_सफर