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"शहादत" बेटे की शहादत की खबर जब कोई लाया होगा माता

"शहादत"
बेटे की शहादत की खबर जब कोई लाया होगा
माता –पिता की आंखों में कितना दु:ख समाया होगा
आंखों में आंसुओं के बूंद भी आते –आते हारे होंगे
जब मेंहदी से सजे उन हाथों ने मंगल सूत्र उतारे होंगे,

                                   हम तो अपने घरों में चैन से सोए होंगे
                              पर ना जानें वो उस पल कितना रोए होंगे
                   सियासत तो ठंडे कमरे में राजनीति चमकाती रही 
    कलेजे के टुकड़े को छलनी देख वो कितना आंसू बहाती रही,

चूड़ियों की खनक को जब उसने हाथों से उतारी होगी 
एक सैनिक की पत्नी होने पर भी वह आंसुओ से हारी होगी
अपने लाडले के शरीर के टुकड़ों को वो कैसे भूलेंगे
एक – दूसरे को संभालते हुए न जाने वो कितना रोएंगे,

         न फोन की घंटियों न चिट्ठियों का अब कोई इंतजार रहेगा
       एक पति, बेटा और सहारा खोकर वो परिवार कैसे जिएगा
         सीने में गोली खाकर मातृभूमि का हर फर्ज निभाया उसने
    बूढ़े मां – बाप और पत्नी को खुशियों का वचन दिया जिसने, 

ये दहशत ये मंजर ये खौफ आखिर कब तक चलती रहेगी
न जाने कितनों कि सांसे कितनों के सुहाग यूं उजड़ती रहेगी 
बेटे की शहादत की खबर जब कोई लाया होगा
माता –पिता की आंखों में कितना दु:ख समाया होगा।

©Vijay Kumar
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