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आज फ़िर मैने कुछ फूल बगीचे से तोड़ लिए है , पता न

आज फ़िर मैने कुछ फूल  बगीचे से तोड़ लिए है , पता नहीं क्यों?  क्योंकि कल भी मैने  गुलदान के फूल बदले थे जो अब मुरझा चुके है,
और आज भी वही  किया हैं जो  सुबह तक फिर  मुरझा जाएगे........
कल और आज़ में बहुत फ़र्क हो चुका है......
कल तक मुझेजो कर्तव्य लगता था, और आज वही व्यर्थ लगता हैं

©Ruksar Bano
  #SAD #कर्म #कर्तव्य