Nojoto: Largest Storytelling Platform

सुनो ओ स्त्री.... अपनी ख़ुशी टांगने को तुम कंधे क्य

सुनो
ओ स्त्री....
अपनी ख़ुशी टांगने को तुम कंधे क्यों तलाशती हो?
कमज़ोर हो, ये वहम क्यों पालती हो?

ख़ुश रहो के ये काजल तुम्हारी आँखों मे आकर संवर जाता है,
ख़ुश रहो के कालिख़ को तुम निखार देती हो।

ख़ुश रहो के तुम्हारा माथा बिंदिया की ख़ुशकिस्मती है,
ख़ुश रहो के तुम्हारा रोम रोम बेशकीमती है।
✍️ शिवा बलराम ✍️ Respect for women
सुनो
ओ स्त्री....
अपनी ख़ुशी टांगने को तुम कंधे क्यों तलाशती हो?
कमज़ोर हो, ये वहम क्यों पालती हो?

ख़ुश रहो के ये काजल तुम्हारी आँखों मे आकर संवर जाता है,
ख़ुश रहो के कालिख़ को तुम निखार देती हो।

ख़ुश रहो के तुम्हारा माथा बिंदिया की ख़ुशकिस्मती है,
ख़ुश रहो के तुम्हारा रोम रोम बेशकीमती है।
✍️ शिवा बलराम ✍️ Respect for women
shivabalram7284

Shiva balram

New Creator