तुम और कविता दोनों मेरे जिन्दगी में बहती हुई संगम की सरिता, अपने हर कविता से अपने प्रेम की भाव-भंगिमा को मैं दर्शाती हूँ, तेरे संगम जैसे निश्चछल प्रेम की सरिता में मै धाराओं की तरह बहती जाती हूँ, मैं अपने हर कविता में तुम्हारी ही जिक्र किया करती हूँ, पर सच तो यह है कि मैं वो प्रेयसी हूँ जो हृदय से अपने प्रियतम की फिक्र किया करती हूँ, मैं,तुम और कविता की कुछ ऐसी ही दास्ताँ है, जिसका ना कोई जमीं है ना कोई आसमां है।। #TumAurKavita