हम भी खूब भुलक्कड़ थे अल्हड़ थे और फक्कड़ थे एक बरसात के मौसम में पानी से खुद को बचाने को डिबिया में रूह रख झूल गए डिबिया कहीं रखकर भूल गए रख कर भूल गए ख़ुद को' अब ढूंडे से भी नहीं मिलते हम ख़ुद को जाने कहाँ रख दिया है ख़ुद को ज़रा नज़र दौड़ाइये देखिये तो सही। Collab कीजिये YQ Bhaijan के साथ