हसरतों के सिक्के लिए उजाले खरीदने निकले थे हम, ~*साहब*~ उम्र की पहली गाली में ही ज़िम्मेदारियों ने लूट लिया। #ज़िम्मेदारियों #बचपन #तन्हा #डर