लब खोल के मैंने इस लिए भी सदा न दी उसे जो मेरे आंसूओं से ना रुका पुकार से क्या रुकता ।। लब #खोल के मैंने इस लिए भी #सदा न दी उसे जो मेरे #आंसूओं से ना रुका #पुकार से क्या रुकता