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रख हौसला खुद पर बुरे दिन बित जायेंगे, खिजां के जात

रख हौसला खुद पर बुरे दिन बित जायेंगे,
खिजां के जाते ही फिर फूल खिल जायेंगे।

नही ऐ मेरे प्यारे वतन हम कहीं नही जायेंगे
जब जायेंगे यहाँ से तो मर कर ही जायेंगे।

देकर लहु अपना सिंचा है जमीन को,
तमन्ना है कि इसी में दफन हो के जायेंगे।

हम वो नहीं है जो डर गए थे फिरौन से,
जब निकलेंगे तो दरिया चिर के जायेंगे।

मत छेड़ इन्हें ये लोग  अमन पसंद है,
ऊठ खड़े हुए तो कर्बला बना के जायेंगे।

ये मर्जी है तुम्हारी जो चाहे फैसला लेलो,
हमे भी जिद है अपनी शर्तो पर जीते जायेंगे।। Mar ke jayenge....
रख हौसला खुद पर बुरे दिन बित जायेंगे,
खिजां के जाते ही फिर फूल खिल जायेंगे।

नही ऐ मेरे प्यारे वतन हम कहीं नही जायेंगे
जब जायेंगे यहाँ से तो मर कर ही जायेंगे।

देकर लहु अपना सिंचा है जमीन को,
तमन्ना है कि इसी में दफन हो के जायेंगे।

हम वो नहीं है जो डर गए थे फिरौन से,
जब निकलेंगे तो दरिया चिर के जायेंगे।

मत छेड़ इन्हें ये लोग  अमन पसंद है,
ऊठ खड़े हुए तो कर्बला बना के जायेंगे।

ये मर्जी है तुम्हारी जो चाहे फैसला लेलो,
हमे भी जिद है अपनी शर्तो पर जीते जायेंगे।। Mar ke jayenge....