काश! लौट जाऊ बचपन की हसींन वादियों में, जहाँ न दिल टूटते हैं, न अपने रुठते हैं, न होती है चिंता किसी बात की , काश! लौट जाऊ बचपन की हसींन वादियो में। न गमो के अँधेरे है, न दुःखो के बादल, हैं अपनी ही दुनिया, हैं अपनी ही बाते , काश! लौट जाऊ बचपन की हसींन वादियो में। न छुप के रोना, न घुट के हँसना, न किसी से हैं शिकवा, न शिकायत किसी से , काश! लौट जाऊ बचपन की हसींन वादियो में।