सज़ा यूँ कोई इस गुनहग़ार को मिले दिल में तेरे क़ैद दिल ए बेकरार को मिले उसकी नज़रों में बेवफ़ाई ही वफ़ा है अग़र तो ऐसे ही वफ़ा रोज़ उस वफ़ादार को मिले अब दिल में घर कोई बनाते नहीं हैं ख़्वाब अच्छा सा कोई ख़्वाब मेरे ख़्वाब को मिले नज़रों में समंदर की क़ीमत ही क्या है तेरी तू दरया है अग़र तो मेरी प्यास को मिले ऐसे ग़म के बेअसर सी हो गयी है दवा नशा तो अब नया कोई शराब को मिले #ग़ुनाह