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हसरत - ए - दिल के परिंदे जब से उड़े जा रहे है। तब स

हसरत - ए - दिल के परिंदे जब से उड़े जा रहे है।
तब से ख्वाबो को हम गोया हक़ीक़त बना रहे है।।

कुछ लोग है जो हमसे खफा खफा से हो गए है।
ये निशानी है कि हम बिलकुल सही जा रहे है।।

मियां मौहोल इस कदर बदल दिया सियासत ने।
कुछ गूंगे है जो आजकल बहुत चिल्ला रहे है।।

वो तानाशाही के सिकंदर है बचके रहना उनसे।
वो तो हस्ती खेलती बस्तियों को भी जला रहे है।।

जिनके आने पर चारगाहो ने रौशनी दिखाई थी।
वो तीरगी को सिलसिलेवार दावत पर बुला रहे है।।

जिनके तबस्सुम को देखकर आ जाती थी रौनक।
वो कमबख्त ही हमको मुस्सलसल रुला रहे है।।

वो दहशतगर्द मुझे बदनाम कर के बम बनाते है।
हम तिफ्ल-ए-शीरख्वार के लिए खिलौने बना रहे है।।

और जीते जी कभी पूछा नहीं जिन्होंने तुझे समर।
वो ही सब तेरे नाम पर आज जलसा मना रहे है।।


 #firstpoetry2k18
हसरत - ए - दिल के परिंदे जब से उड़े जा रहे है।
तब से ख्वाबो को हम गोया हक़ीक़त बना रहे है।।

कुछ लोग है जो हमसे खफा खफा से हो गए है।
ये निशानी है कि हम बिलकुल सही जा रहे है।।

मियां मौहोल इस कदर बदल दिया सियासत ने।
कुछ गूंगे है जो आजकल बहुत चिल्ला रहे है।।

वो तानाशाही के सिकंदर है बचके रहना उनसे।
वो तो हस्ती खेलती बस्तियों को भी जला रहे है।।

जिनके आने पर चारगाहो ने रौशनी दिखाई थी।
वो तीरगी को सिलसिलेवार दावत पर बुला रहे है।।

जिनके तबस्सुम को देखकर आ जाती थी रौनक।
वो कमबख्त ही हमको मुस्सलसल रुला रहे है।।

वो दहशतगर्द मुझे बदनाम कर के बम बनाते है।
हम तिफ्ल-ए-शीरख्वार के लिए खिलौने बना रहे है।।

और जीते जी कभी पूछा नहीं जिन्होंने तुझे समर।
वो ही सब तेरे नाम पर आज जलसा मना रहे है।।


 #firstpoetry2k18