कोई नहीं समझेगा तुझ को तू किसी को ना सुनाया कर नमक का शहर है ये ज़ख्म ढक कर आया कर बदनाम गलियां हैं यहां की मुझे नाम से ना बुलाया कर आधी दुनिया भूखी है तू आधी रोटी खाया कर कभी रूक आराम भी कर खुद को ज्यादा ना सताय कर उसको याद करना अच्छा है पर खुद को ना भुलाया कर ©_बेखबर #sunset_time hindi poetry hindi poetry on life