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कोई नहीं समझेगा तुझ को तू किसी को ना सुनाया

कोई  नहीं  समझेगा  तुझ को 
तू किसी को  ना  सुनाया  कर

नमक    का     शहर     है   ये
ज़ख्म  ढक   कर   आया  कर

बदनाम  गलियां   हैं  यहां  की
मुझे नाम  से ना  बुलाया  कर

आधी     दुनिया      भूखी   है 
तू   आधी   रोटी   खाया  कर

कभी  रूक  आराम  भी  कर
खुद को ज्यादा ना सताय कर

उसको याद  करना  अच्छा है
पर  खुद को ना  भुलाया कर

©_बेखबर #sunset_time  hindi poetry hindi poetry on life
कोई  नहीं  समझेगा  तुझ को 
तू किसी को  ना  सुनाया  कर

नमक    का     शहर     है   ये
ज़ख्म  ढक   कर   आया  कर

बदनाम  गलियां   हैं  यहां  की
मुझे नाम  से ना  बुलाया  कर

आधी     दुनिया      भूखी   है 
तू   आधी   रोटी   खाया  कर

कभी  रूक  आराम  भी  कर
खुद को ज्यादा ना सताय कर

उसको याद  करना  अच्छा है
पर  खुद को ना  भुलाया कर

©_बेखबर #sunset_time  hindi poetry hindi poetry on life